एक वैज्ञानिक जो अपनी मौत के 18 साल बाद हो गया महान / 18 years after his death He Became A Great Scientist
महान वैज्ञानिक ग्रेगर जॉन मेंडल :
क्या : आधुनिक आनुवंशिकी जगत का पितामहकब :जन्म 20 जुलाई 1822 , निधन : 6 जनवरी 1884
उथल-पुथल से भरा जीवन
विज्ञान को एक नई दिशा देने वाले मेंडल का जीवन उथल-पुथल से भरा था।
जी हां ग्रेग्रर जॉन मेंडल ने अपने उस अध्यापक की बात को सच करके दिखा दिया था जिन्होंने मेंडल की प्रतिभा को 11 साल की उम्र में पहचान लिया था और मेंडल के माता पिता से कहा था कि यह बालक बेहद प्रतिभावान है और इसे उच्च शिक्षा मिलनी ही चाहिए। हालांकि मेंडल के माता पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन तमाम संघर्षो से गुजरते हुए मेंडल ने वह कर दिखाया था जिसने विज्ञान जगत के भविष्य की दिशा तय कर दी थी और उनकी आनुवंशिकी के नियमों की खोज ने उनको विज्ञान में अमर बना दिया था लेकिन अफसोस मेंडल के जीते जी विज्ञान जगत उनके नियमों को समझ नहीं पाया था और उनके मरने के 18 साल बाद संसार का वैज्ञानिक समुदाय को जब पता चला कि मेंडल ने वह कर दिखाया है जो उनको लगभग भगवान का दर्जा देने के बराबर था। जीव का निर्माण आखिर कैसे होता है और कोई व्यक्ति आखिर विशेष गुणों के साथ कैसे जन्म लेता है? हम अपने माता पिता की तरह किस तरह अपने गुणों से मेल खाते है लगभग हर बात का जवाब उनकी खोज में था लेकिन विज्ञान जगत ने इसे समझने में देर कर दी थी। अगर उस समय के प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल नेगेली मेंडल के नियमों को मान्यता दे देते तो विज्ञान जगत न केवल 18 साल आगे हो जाता बल्कि मेंडल जीते जी अपनी ख्याती और अपनी खोज को मान्यता मिलते हुए देख लेते जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी।
क्या कहा था प्रोफेसर नेगेली ने
मेंडल अपने समय के सुविख्यात जीवविज्ञानी प्रोफेसर कार्ल नेगेली से अपने कार्य की मान्यता लेना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपना शोध निबंध नेगेली को भेजा। नेगेली ने पहले तो जवाब नहीं दिया, परंतु जब मेंडल लगातार पत्र लिखते रहे तो उन्होंने जवाब भेजा। नेगेली ने लिखा था कि जो सीजर का है, सीजर को दो और जो भगवान का है भगवान को दो। मैं नहीं जानता कि आप वनस्पतिशास्त्री हैं या गणितज्ञ यदि आप वनस्पतिशास्त्री हैं तो वनस्पतियों पर अध्ययन कीजिए और अगर आप गणितज्ञ हैं तो पौधों पर संकरण करने से बाज आइए।
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मेंडल को था खुद पर यकीन
यह जीव विज्ञान का दुर्भाग्य ही है कि मेंडल का सारा श्रम 37 वर्षो तक पुस्तकालयों में धूल बटोरता रहा और किसी ने उसपर ध्यान नहीं दिया। लेकिन मेंडल अपने शोधकार्यो से पूरी तरह संतुष्ट थे। जीवन के अंतिम सालों में उन्होंने लिखा था कि अपने वैज्ञानिक कार्यो से मैं बहुत संतुष्ट हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि शीघ्र ही पूरी दुनिया मेरे काम को सराहेगी। वे बातचीत में अपने शिष्यों से कहा करते थे कि एक दिन उनका समय आएगा, जरूर आएगा।
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मौत के बाद चर्चित हुए मेंडल
मेंडल को प्रसिद्धि मौत के 18 साल के बाद मिली। 1902 में एक ही शोध पत्रिका में तीन विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों के शोध निबंध प्रकाशित हुए। ये वैज्ञानिक थे हॉलैंड के प्रसिद्ध वनस्पतिशास्त्री ह्यूगो डी व्रिज, जर्मनी के कार्ल कॉरेंस और आस्ट्रिया के एरिक वॉन। आश्चर्यजनक रूप से तीनों निबंध आनुवांशिकता के उन्हीं बुनियादी और मात्रात्मक नियमों के बारे में थे जिसके बारे में ग्रिगोर मेंडल 37 वर्ष पहले ही लिख चुके थे। इन तीनों वैज्ञानिकों ने मेंडल के आनुवंशिकता के नियमों को स्वतंत्र रूप से दोबारा खोज निकाला था। जिसके बाद मेंडल पुनर्जीवित हो उठे थे।
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मेंडल जीव विज्ञान में फेल हो गए थे
जी हां जीव विज्ञान की नई शाखा आनुवांशिकी के जनक कहे जाने वाले ग्रिगोर मेंडल जीव विज्ञान में फेल हो गए थे। यह बात है 1850 की, जब मेंडल ने स्थायी शिक्षक बनने के लिए वियना विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक परीक्षा में भाग लिया था। उन्होंने भौतिकी और अन्य विषयों की परीक्षा दी, परंतु वे इसमें फेल हो गए। यह विडंबना ही है कि सबसे कम अंक उन्हें जीव विज्ञान में ही मिले थे।
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बहन के दहेज के जुटाए पैसों से की पढ़ाई
मेंडल का पूरा जीवन संघर्ष में बीता। उनके पिता किसान थे। स्कूल के दिनों में मेंडल टच्यूशन कर अपने खर्च का इंतजाम करते थे। जब वे कॉलेज जाने के लायक हुए तो दुर्भाग्य से उसी समय उनके पिता की मौत हो गई। उनके परिवार पर संकट का पहाड़ टूट पड़ा। पिता ने अपनी खेती और सारा कारोबार बड़ी बेटी और दामाद को सौंप दिया था। जब मेंडल ने अपनी बहन, बहनोई से मदद मांगी तो उन्होंने मुंह फेर लिया। ऐसे समय में उनकी छोटी बहन तेरेजिया ने अपने दहेज के लिए जुटाए गए धन में से कुछ रुपए देकर मेंडल की मदद की और उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
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मेंडल ने उगाए थे तीस हजार से अधिक पौधे
साधारण से दिखने वाले मटर के पौधों पर शोध कर आनुवांशिकी के सिद्धांत देने वाले मेंडल ने अपने शोधकाल में 30,000 से अधिक पौधे उगाए थे। आठ साल तक चलने वाले इस शोध के लिए मेंडल ने सात जोड़ी स्पष्ट भिन्न लक्षणों वाली किस्मों को चुना।
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क्या है मेंडलवाद
अपने शोध के पूरे होने पर मेंडल ने आनुवांशिकता के कुछ सिद्धांत दिए। उनके सिद्धांत को मेंडलवाद कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आनुवांशिकता में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चारित्रिक लक्षणों के हस्तांतरण में ये चारित्रिक लक्षण सम्मिश्रित नहीं होते और फीके नहीं पड़ते जैसा की उस समय के वैज्ञानिक मानते थे। उन्होंने बताया कि इसके केंद्र में अवश्य ही कोई ठोस अविभाज्य इकाई या कण है। हां आनुवांशिकता की ये इकाइयां भले ही पहली संकर पीढ़ी में एक समान रहें, लेकिन अगली पीढ़ी में फिर से एक निश्चित अनुपात में प्रकट होती हैं।
Source : Bhaskar EPaper News