कुछ हिन्दू धर्म शाष्त्री कहते हैं कि :- तब समझो आ गई मौत जब इनमें न दिखे खुद की छाया
जीवन का अंतिम अटल सत्य है मृत्यु। श्रीकृष्ण ने गीता में मृत्यु के संबंध में महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं। महाभारत युद्ध में अर्जुन ने अपने सगे-संबंधियों को देखकर धनुष-बाण रख दिए। उस श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन और मृत्यु से जुड़ा गीता का ज्ञान दिया।
श्रीकृष्ण ने गीता में बताया है कि जिस व्यक्ति ने इस धरती पर जन्म लिया उसे एक दिन मृत्यु अवश्य ही प्राप्त होगी। मानव शरीर नश्वर है और एक दिन यह अवश्य ही नष्ट भी होगा। आत्मा के संबंध में श्रीकृष्ण ने कहा है कि आत्मा अमर है और वह निश्चित समय के लिए मनुष्य का शरीर धारण करती है। इस समय अवधि के पूरा होने के बाद स्वत: ही आत्मा शरीर छोड़ देती है।
शास्त्रों के अनुसार जब मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है इसके कुछ दिन पूर्व से ही कई ऐसी बातें होने लगती हैं जिनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की मृत्यु कब होगी? वैसे तो मृत्यु के संबंध में किसी भी प्रकार की पूर्व भविष्यवाणी करना असंभव सा ही है। ज्योतिष शास्त्र से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु का संभावित दिन मालुम किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ असामान्य घटनाएं जब घटने लगती हैं तो मृत्यु का संकट शुरू हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार जब किसी व्यक्ति को पानी, घी, तेल में स्वयं की परछाई दिखाई देना बंद हो जाए तो उस व्यक्ति की आयु करीब 7 दिनों की शेष है। मृत्यु का समय निकट आते ही व्यक्ति की आंखें कमजोर हो जाती हैं और उन्हें ठीक से दिखाई देना बंद हो जाता है लेकिन अकाल मृत्यु के संबंध में यह बात लागू नहीं होती है।
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